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Sunday 5 August 2012

"मधुर रक्त को, कौन राक्षस चाट रहा?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का एक गीत)


आज देश में उथल-पुथल क्यों,
क्यों हैं भारतवासी आरत?
कहाँ खो गया रामराज्य,
और गाँधी के सपनों का भारत?

आओ मिलकर आज विचारें,
कैसी यह मजबूरी है?
शान्ति वाटिका के सुमनों के,
उर में कैसी दूरी है?

क्यों भारत में बन्धु-बन्धु के,
लहू का आज बना प्यासा?
कहाँ खो गयी कर्णधार की,
मधु रस में भीगी भाषा?

कहाँ गयी सोने की चिड़िया,
भरने दूषित-दूर उड़ाने?
कौन ले गया छीन हमारे,
अधरों की मीठी मुस्काने?

किसने हरण किया गान्धी का,
कहाँ गयी इन्दिरा प्यारी?
प्रजातन्त्र की नगरी की,
क्यों आज दुखी जनता सारी?

कौन राष्ट्र का हनन कर रहा,
माता के अंग काट रहा?
भारत माँ के मधुर रक्त को,
कौन राक्षस चाट रहा?

Saturday 4 August 2012

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का एक गीत

भारत के बालक
हम भारत के भाग्य विधाता, नया राष्ट्र निर्माण करेंगे।
देश-प्रेम के लिए न्योछावर, हँस-हँस अपने प्राण करेंगे।।

गौतम, गाँधी, इन्दिरा जी की, हम ही तो तस्वीर हैं,
हम ही भावी कर्णधार हैं, हम भारत के वीर हैं,
भेद-भाव का भूत भगा कर, चारु राष्ट्र निर्माण करेंगे।
देश-प्रेम के लिए न्योछावर, हँस-हँस अपने प्राण करेंगे।।

चम्पा, गेन्दा, गुल-गुलाब ने, पुष्प-वाटिका महकाई,
हिन्द, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में भाई-भाई,
सब मिल-जुल कर आपस में, सुदृढ़ राष्ट्र निर्माण करेगे।
देश-प्रेम के लिए न्योछावर, हँस-हँस अपने प्राण करेंगे।।

भगतसिंह, अशफाक -उल्ला की, आन न हम मिटने देगे,
धर्म-मजहब की खातिर अपनी ,शान न हम मिटने देंगे,
कौमी -एकता को अपना कर धवल -राष्ट्र निर्माण करेंगे।
देश-प्रेम के लिए न्योछावर,हँस-हँस अपने प्राण करेंगे।।

दिशा-दिशा में, नगर-ग्राम में, बीज शान्ति के उपजायेंगे,
विश्व शान्ति की पहल करेंगे, राष्ट्र पताका लहरायेंगे,
भारत के सच्चे प्रहरी बन, स्वच्छ राष्ट्र निर्माण करेंगे ।
देश-प्रेम के लिए न्योछावर, हँस-हँस अपने प्राण करेंगे ।।

(डॉ० रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')

Friday 3 August 2012

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" का बालगीत

"बादल तो बादल होते हैं"
श्वेत-श्याम से नभ में उगते,
निर्मल जल का सिन्धु समेटे,
लेकिन धुआँ-धुआँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।

बल के साथ गरजते रहते,
दल के साथ लरजते रहते,
जग में यहाँ-वहाँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।

चन्द्र,सूर्य का तेज घटाते,
इनसे तारागण ढक जाते,
बादल जहाँ-जहाँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।

Thursday 2 August 2012

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का राखी गीत


आया राखी का त्यौहार!!
हरियाला सावन ले आयाये पावन उपहार।
अमर रहा हैअमर रहेगाराखी का त्यौहार।।
आया राखी का त्यौहार!!

जितनी ममता होती है, माता की मृदु लोरी में,
उससे भी ज्यादा ममता है, राखी की डोरी में,
भरा हुआ कच्चे धागों में, भाई-बहन का प्यार।
अमर रहा हैअमर रहेगाराखी का त्यौहार।।
आया राखी का त्यौहार!!

भाई को जा करके बाँधें, प्यारी-प्यारी राखी,
हर बहना की यह ही इच्छा राखी के दिन जागी,
उमड़ा है भगिनी के मन में श्रद्धा-प्रेम अपार!
अमर रहा हैअमर रहेगाराखी का त्यौहार।।
आया राखी का त्यौहार!!

खेल-कूदकर जिस अँगने में, बीता प्यारा बचपन,
कैसे याद भुलाएँ उसकी, जो मोहक था जीवन,
कभी रूठते और कभी करते थे, आपस में मनुहार।
अमर रहा हैअमर रहेगाराखी का त्यौहार।।
आया राखी का त्यौहार!!

गुज़रे पल की याद दिलाने, आई बहना तेरी,
रक्षा करना मेरे भइया, विपदाओं में मेरी,
दीर्घ आयु हो हर भाई की, ऐसा वर दे दो दातार।
अमर रहा हैअमर रहेगाराखी का त्यौहार।।
आया राखी का त्यौहार!! 

आज किसी भी भाई की, ना सूनी रहे कलाई, 
पहुँचा देना मेरी राखी, अरे डाकिए भाई, 
बहुत दुआएँ दूँगी तुझको, तेरा मानूँगी उपकार! 
अमर रहा है अमर रहेगा, राखी का त्यौहार!! 
आया राखी का त्यौहार!!