tag:blogger.com,1999:blog-7259733940754234509.post1412823700712751124..comments2023-07-11T14:44:32.551+05:30Comments on काग़ज़ की नाव (मेरे गीत): "तम मिटाने को, दिवाली आ गयी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')काग़ज़ की नावhttp://www.blogger.com/profile/18100116770921601447noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7259733940754234509.post-67231552121144076782012-11-13T18:18:17.000+05:302012-11-13T18:18:17.000+05:30छँट गया सारा अन्धेरा,
पास का परिवेश का,
किन्तु अप...छँट गया सारा अन्धेरा, <br />पास का परिवेश का,<br />किन्तु अपनों ने किया, <br />बदहाल भारत देश का,<br />प्यार जैसे शब्द को भी तो,<br />दिखावट खा गयी है।<br />दीपकों की रोशनी सबके,<br />दिलों को भा गयी है।।<br /><br />बहुत सार्थक बिम्ब .बधाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7259733940754234509.post-22802666411268032012012-11-13T11:34:44.267+05:302012-11-13T11:34:44.267+05:30बहुत सुन्दर रचना....
आपको सहपरिवार दीपावली की हार...बहुत सुन्दर रचना....<br />आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ....<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.com