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Tuesday, 14 June 2022

समीक्षा “चिन्तन के स्वर” (अभिनव निबन्ध) "अशोक निर्दोष" (समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

समीक्षा

चिन्तन के स्वर

(अभिनव निबन्ध) "अशोक निर्दोष"

(समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

      कुछ दिनों पूर्व मुझे स्पीडपोस्ट से लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार "अशोक निर्दोष" की चिन्तन के स्वर की एक निबन्ध कृति प्राप्त हुई। चिन्तन के स्वर के नाम और आवरण ने मुझे खासा प्रभावित किया। इससे पूर्व में भी प्राप्त कई मित्रों की कृतियाँ मेरे पास समीक्षा के लिए कतार में थी। किन्तु मैंने प्राथमिकता के आधार पर चिन्तन के स्वर पर कुछ शब्द लिखने कै साहस किया।

    हिन्दी साहित्य में गद्यलेखन की बहुत सारी विधायें हैं किन्तु उनमें सबसे सशक्त विधा निबन्ध लेखन ही है। जिसके लिए शीर्षक प्रथमिकता, प्रस्तावना, विषयविस्तार और उपसंहार आवश्यक अंग होते हैं। विद्वान और अनुभवी साहित्यकार अशोक निर्दोष ने कृति में लिखे निबन्धों में इस मर्यादा का सम्यकरूप से निर्वहन किया है और अपने निबन्धों में यह सिद्ध कर दिया है कि आप शब्दों के कुशल  चितेरे भी हैं।

साहित्यकार इस संकलन में सत्रह निबन्धों को स्थान दिया है-

      

       "राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षाशीर्षक से आपने पहले निबन्ध में पाठकों को सन्देश दिया है-

      "राष्ट्र को सबल तथा सफन बनाने के लिए नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना विकसित करना परम आवश्यक है। इसके लिए आवश्यकता है शिक्षा की। इसलिए तानाशाही, समाजवादी, साम्यवादी, साम्यवादी एवं जनतन्त्रीय सभी प्रकार के राष्ट्र अपनी-अपनी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपने-अपने नागरिकों में शिक्षा के द्वारा राष्ट्रीयता की भावना को विकसित करते हैं।

     राष्ट्रीयता अनेक प्रमुख लाभ हैं....."

निबन्धकार "अशोक निर्दोष"  ने मानवीय संवेदनाओं पर तो अपनी लेखनी चलाई ही है साथ ही जीवन के उपादानों को भी अपने निबन्धों का विषय बनाया है।

      "बच्चे कैसे रहें पढ़ाई की टेंसन से दूर" निबन्ध में स्वयं को पात्र बना कर लिखा है-

       ".....परीक्षाफल से जुड़ा शब्द परीक्षा और परीक्षा से जुड़ी पढ़ाई का ध्यान आते ही इसकी स्वाभाविक टेसन मुझे एक झुर्झुरी सी दे जाती थी। तो क्या पढ़ाई की टेंसन जरूरी है? वह कौन से टेंसन हैं जिनसे हम पढ़ाई की टेंसन को अपने से दुर रख सकते हैं?

      सच तो यह है कि हम नियमित पढ़ाई नहीं करते अर्थात् एक दिन चार घंटे पढ़ लेते हैं और चार दिनों तक एक घण्टा भी नहीं पढ़ते है, तो पढ़ाई की टेसन शुरू हो जाती है, इसके लिए अगर नियमित पढ़ाई नियमित करें, चाहे एक घण्टा रोज ही सही। टेंसन होगी ही नहीं।....."

       एक अन्य निबन्ध में आपने "राष्ट्र के विकास में युवाओं की भूमिका"  के बारे में लिखा है-

       "वास्तव में राष्ट्र निर्माण एक ऐसी परिकल्पना है, जिसमें राष्ट्र से जुड़े हर पहलू का ध्यान रखना आवश्यक है। कुछ लोग राष्ट्र निर्माण को मात्र और मात्र राजनीतिक प्रतिनिधिधित्व से जोड़कर देखते हैं लेकिन राष्ट्र निर्माण मात्र राजनीति से नहीं होता है। राष्ट्र निर्माण हो ता है सच्चरित्र नागरिकों से....."

      "भारत के पर्यटन स्थल" नामक निबन्ध में भारत के विभिन्न प्रान्तों के पर्यटन स्थलों की की विस्तार जानकारी दी गयी है।

       एक अन्य निबन्ध "जनसमस्याओं के समाधान में समाचार पत्रों की भूमिका" में विद्वान लेखक ने लिखा है-

      ".....प्रैस प्रजातन्त्र का चौथा और महत्वपूर्ण स्तम्भ है। समाज के परिपूर्ण विकास के लिए समाचार एक आवश्यक और महत्वपूर्ण उपादान है।

       यह कहना अतिश्योक्त नहीं होगा' बिना सूचना कहीं भी कुछ ना। सच तो यह है कि समाचारपत्र ऐसे ही व्यापक हाई-वे हैं, जिन्होंने दूरियों को लगभग समाप्त कर दिया है। समसामयिक घटनाचक्र का शीघ्रता में लिखा गया इतिहास ही पत्रकारिता कहा जाता है।"

       आपने राष्टीय एकता के लिए शिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या एक स्वयंभू अभिशाप, बच्चे कैसे रहें पढ़ाई की टेंसन से दूर, शिशु की प्रथम पाठशाला परिवार, गणतन्त्र दिवस का महत्व, शारीरिक श्रम से दूर होते बच्चे, फूलों की घाटी, भारतीय रंग मंच एक लम्बा सफर, राष्ट्र के विकास में युवाओं की भूमिका, अजन्ता एलोरा की गुफाएँ, संस्कृति लोककला एवं ...., प्रकृति की खण्डित मर्यादा, भारतीय शित्रा और शिक्षण व्यवस्था, मंगल ग्रहःएक परिचय, भारत के परिटन स्थल, जन समस्याओं        ...समाचार पत्रों की भूमिका में हमारे क्रान्तिकारी वीरों के सपनों का देश जैसे निबन्धों में जीवन का सम्पूर्ण दर्शन लेखक ने प्रभावशाली शब्दों में उद्घाटित किया है।

        चिन्तन के स्वर (निबन्ध संग्रह) को पढ़कर मैंने अनुभव किया है कि लेखक अशोक 'निर्दोष' ने भाषिक सौन्दर्य के अतिरिक्त निबन्ध की सभी विशेषताओं का संग-साथ लेकर जो निर्वहन किया है वह अत्यन्त सराहनीय है।

       मुझे पूरा विश्वास है कि पाठक चिन्तन के स्वर (निबन्ध संग्रह) को पढ़कर अवश्य लाभान्वित होंगे और यह कृति समीक्षकों की दृष्टि से भी उपादेय सिद्ध होगी।

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      इस पुस्तक को पाठक अविचल प्रकाशन, हल्द्वानी (नैनीताल) या लेखक के पते- निर्दोष निकेत, 220-आर्यनगर, नई बस्ती, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)-पिनकोड 246 401 से भी प्राप्त कर सकते हैं।

 

दिनांकः 14-06-2022

                                  (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक’)

                              कवि एवं समीक्षक

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