चमक और दमक में, कहीं खो न जाना! कलम के मुसाफिर, कहीं सो न जाना! जलाना पड़ेगा तुझे, दीप जगमग, दिखाना पड़ेगा जगत को सही मग, तुझे सभ्यता की, अलख है जगाना!! कलम के मुसाफिर, कहीं सो न जाना! सिक्कों की खातिर कलम बेचना मत, कलम में छिपी है ज़माने की ताकत, भटके हुओं को सही पथ दिखाना! कलम के मुसाफिर, कहीं सो न जाना! झूठों की करना कभी मत हिमायत, अमानत में करना कभी मत ख़यानत, हकीकत से अपना न दामन बचाना! कलम के मुसाफिर, कहीं सो न जाना! |
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