गन्दुमी सी पर्त ने ढक ही दिया आकाश नीला
देखकर घनश्याम को होने लगा आकाश पीला
छिप गया चन्दा गगन में, हो गया मज़बूर सूरज
पर्वतों की गोद में से बह गया कमजोर टीला
बाँटती सुख सभी को बरसात की भीनी फुहारें
बरसता सावन सुहाना हो गया चौमास गीला
पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर
पास के तालाब से मेढक सुनाते सुर-सुरीला
इन्द्र ने अपने धनुष का “रूप” सुन्दर सा दिखाया
सात रंगों से सजा है गगन में कितना सजीला |
prakriti ka sundar shabd chitran ------
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