गजल और गीत क्या है,
नहीं कोई जान पाया है।
हृदय की बात कहने को,
कलम अपना चलाया है।।
मिलन की जब घड़ी होती,
बिछुड़ जाने का गम होता,
तभी पर्वत के सीने से,
निकलता धार बन सोता,
उफनते भाव के नद को,
करीने से सजाया है।
हृदय की बात कहने को,
कलम अपना चलाया है।।
बिछाएँ हों किसी ने जब,
वफा की राह में काँटे,
लगीं हो दोस्ती में जब,
जफाओं की कठिन गाँठे,
दबे जज्बात कहने का,
बहाना हाथ आया है।
हृदय की बात कहने को,
कलम अपना चलाया है।।
चमन में जब कभी, वीरानगी-
दहशत सी छायी हो,
वतन में जब कभी गर्दिश
कहर बन करके आयी हो,
बहारों को मनाने को,
सुखनवर गीत लाया है।
हृदय की बात कहने को,
कलम अपना चलाया है।।
वाह बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !नई पोस्ट चाँदनी रात
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
बहुत - बहुत सुन्दर रचना ...
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