अपना देश महान बनायें। आओ नूतन वर्ष मनायें।। मातम भी था और हर्ष था, मिला-जुला ही गयावर्ष था, भूल-चूक जो हमने की थीं, उन्हें न फिर से हम दुहरायें। अपना देश महान बनायें। आओ नूतन वर्ष मनायें।। कभी न हो कोई दिन काला, सूरज-चन्दा लाये उजाला, छँटे कुहासा-हटे हताशा, ग़म के बादल कभी न छायें। अपना देश महान बनायें। आओ नूतन वर्ष मनायें।। बन्द करें सब फिकरे-ताने, देशभक्ति के गायें तराने, फिल्में नहीं बने अब ऐसी, जो कामुकता-भाव जगायें। अपना देश महान बनायें। आओ नूतन वर्ष मनायें।। शिक्षा का व्यापार बन्द हो, सुमनों में भरपूर गन्ध हो, कर्णधार सत्ता के मद में, कभी न जनता को बिसरायें। अपना देश महान बनायें। आओ नूतन वर्ष मनायें।।
चमचे-गुण्डे और मवाली, यहाँ न खाने पाये दलाली, उनको ही मत देना अपना, जो रिश्वत का चलन मिटायें। अपना देश महान बनायें। आओ नूतन वर्ष मनायें।। |
वाह बहुत सुंदर !
ReplyDeleteनए संकल्पों का काव्य रच रहें हैं नव वर्ष वेला में शास्त्री जी -
ReplyDeleteचमचे-गुण्डे और मवाली,
यहाँ न खाने पाये दलाली,
उनको ही मत देना अपना,
जो रिश्वत का चलन मिटायें।
अपना देश महान बनायें।
आओ नूतन वर्ष मनायें।।