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Saturday 3 November 2012

"दीपक जलायें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

!! शुभ-दीपावली !!
रोशनी का पर्व है, दीपक जलायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

बातियाँ नन्हें दियों की कह रहीं,
तन जलाकर वेदना को सह रहीं,
तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

डूबते को एक तृण का है सहारा,
ज़िन्दगी को अन्न के कण ने उबारा,
धरा में धन-धान्य को फसलें उगायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

जेब में ज़र है नही तो क्या दिवाली,
मालखाना माल बिन होता है खाली,
किस तरह दावा उदर की वो बुझायें। 
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

बाँटकर मिलकर सभी खाना मिठाई, 
दीप घर-घर में जलाना आज भाई,
रोज सब घर रोशनी में झिलमिलायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर दीप गीत |
    शुभकामनायें ||

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  2. आप की प्रस्तुति तो हमेशा सुंदर रहती है

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  3. "दीपक जलायें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    !! शुभ-दीपावली !!

    रोशनी का पर्व है, दीपक जलायें।
    नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

    बातियाँ नन्हें दियों की कह रहीं,
    तन जलाकर वेदना को सह रहीं,
    तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें।
    नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।


    सद्भावना है आपकी मालिक दिवाली ,

    है तेल महंगा दीया खाली ,

    .......बढ़िया सुकुमार भावनाओं से प्रेरित रचना .

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  4. बाँटकर मिलकर सभी खाना मिठाई,
    दीप घर-घर में जलाना आज भाई,..bahut badhiya ...happy diwaali..

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  5. बातियाँ नन्हें दियों की कह रहीं,
    तन जलाकर वेदना को सह रहीं,
    तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें।

    ....बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...

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  7. दीपावली की अग्रिम बधाई सहित .....नीड़ को नव ज्योतियों से जगमगाने के लिए पर्व की प्रतीक्षा में ....

    सादर ....

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  8. बाँटकर मिलकर सभी खाना मिठाई,
    दीप घर-घर में जलाना आज भाई,
    रोज सब घर रोशनी में झिलमिलायें।
    नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें
    सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के बनाए दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

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  9. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  10. तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें।
    नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

    शुभ दीपावली । सुंदर प्रस्तुति ।

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  11. दीपावली रोशनी का पर्व होता हैं जो अंधरे को दूर कर हर तरफ़ रौशनी बिखेरता हैं.
    इस दीपावली पर बहुत ही सुंदर रचना...

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