"बादल तो बादल होते हैं" श्वेत-श्याम से नभ में उगते, निर्मल जल का सिन्धु समेटे, लेकिन धुआँ-धुआँ होते हैं । बादल तो बादल होते हैं । बल के साथ गरजते रहते, दल के साथ लरजते रहते, जग में यहाँ-वहाँ होते हैं । बादल तो बादल होते हैं । चन्द्र,सूर्य का तेज घटाते, इनसे तारागण ढक जाते, बादल जहाँ-जहाँ होते हैं । बादल तो बादल होते हैं । |
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (04-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत ही प्यारी कविता !!!
ReplyDeleteवाह ... बहुत बढिया ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteSathar Saagar Sikar Samete..,
ReplyDeleteDhar Dhar Dhuaan Dhuaan Ugaataa..,
Baadal Ko Hai Baadal Fente..,
Nirjhar Nir Jhaalar Lapete..,
Badal kO Baadal Fente..,
Lapat Lipat Kar NabhPar Teke.....