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Friday 3 August 2012

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" का बालगीत

"बादल तो बादल होते हैं"
श्वेत-श्याम से नभ में उगते,
निर्मल जल का सिन्धु समेटे,
लेकिन धुआँ-धुआँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।

बल के साथ गरजते रहते,
दल के साथ लरजते रहते,
जग में यहाँ-वहाँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।

चन्द्र,सूर्य का तेज घटाते,
इनसे तारागण ढक जाते,
बादल जहाँ-जहाँ होते हैं ।
बादल तो बादल होते हैं ।

6 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (04-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  2. बहुत ही प्यारी कविता !!!

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  3. वाह ... बहुत बढिया ।

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  4. बहुत सुन्दर...

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  5. Sathar Saagar Sikar Samete..,

    Dhar Dhar Dhuaan Dhuaan Ugaataa..,
    Baadal Ko Hai Baadal Fente..,

    Nirjhar Nir Jhaalar Lapete..,
    Badal kO Baadal Fente..,

    Lapat Lipat Kar NabhPar Teke.....

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